सुबह सैर पर जाते समय कहीं पेड़ पर एक टूटा, फटा सा टीन का बोर्ड लगा देखा आज। बेचारा बोर्ड अकेला, धूप, गर्मी, बारिश, सर्दी सबकी मार झेलता एक रस्सी के सहारे कोने से बंधा उपेक्षित सा हवा में झूल रहा था। वो वृक्ष भी विवश था। उसकी कोई सहायता करना उसके वश में न था। आखिर उसे भी तो स्थावर का जन्म मिला था!! एक स्थावर, दूसरे स्थावर की क्या मदद कर पायेगा? खैर--- इस विचार को झटककर मैने पास जाकर देखा तो उस जंग खाये बोर्ड पर बहुत ही गहरी बात लिखी थी-------
"चिंता करोगे तो भटक जाओगे,
चिंतन करोगे तो भटके हुओं को रास्ता दिखाओगे"
पढ़कर लगा कि कभी भी किसी की उपेक्षा केवल इसलिए नही करनी चाहिए कि उसकी स्थिति खराब है। न जाने कौन, कब और क्या बात समझा जाये जिससे हमारे जीवन की दशा और दिशा दोनो बदल जाये।🙏
विचार कीजियेगा😊
Thanks for providing the best Anmol Vachan in hindi
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