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Thursday, December 26

अलविदा

जमाना कर ना सका उसकें कद का अंदाजा 
वो आसमान था मगर सर झुका के चलता था।

डॉ. मनमोहन सिंह 

Tuesday, December 24

काव्य

जानें, कितने अभिशाप मिले, 
कितना है पीना पडा गरल,
तब भी नयनों में ज्योति हरी, 
तब भी मुख पर मुसकान सरल ।

Wednesday, December 18

शुभ संध्या

तुम बंजर हो जाओगे 
, यदि इतने व्यवस्थित ढंग से रहोगे 
, यदि इतने सोच समझकर 
, बोलोगे चलोगे
, कभी मन की नहीं कहोगे
, सच को दबाकर झूठे प्रेम के गाने गाओगे 
, तो मैं तुमसे कहता हूँ, तुम बंजर हो जाओगे!

~ भवानीप्रसाद मिश्र

Sunday, December 8

वाक्य

नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है 
, कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन अब घर अच्छा लगता है 

, मिलने-जुलने वालों में तो सब ही अपने जैसे हैं 
, जिस से अब तक मिले नहीं वो अक्सर अच्छा लगता है 

, मेरे आँगन में आए या तेरे सर पर चोट लगे 
, सन्नाटों में बोलने वाला पत्थर अच्छा लगता है

चाहत हो या पूजा सब के अपने अपने साँचे हैं 
, जो मौत में ढल जाए वो पैकर अच्छा लगता है 

, हम ने भी सो कर देखा है नए पुराने शहरों में 
, जैसा भी है अपने घर का बिस्तर अच्छा लगता है.।

~निदा फ़ाज़ली

Saturday, December 7

Good Evening

बस्ती बस्ती जाकर ढूँढा 
ढूँढा मैंने गली गली 

मिला नहीं साथी मन का 
जाने कैसी हवा चली 

सबके अपने दर्द बहुत 
कौन पीर सुनता मेरी 

आसमां के बैठ नीचे 
लगती अपनी जमीं भली 

....मन

Saturday, November 30

यातना

रोज़ जब रात को बारह का गजर होता है
यातनाओं के अँधेरे में सफ़र होता है

कोई रहने की जगह है मेरे सपनों के लिए
वो घरौंदा ही सही, मिट्टी का भी घर होता है

सिर से सीने में कभी पेट से पाओं में कभी
इक जगह हो तो कहें दर्द इधर होता है

ऐसा लगता है कि उड़कर भी कहाँ पहुँचेंगे
हाथ में जब कोई टूटा हुआ पर होता है

सैर के वास्ते सड़कों पे निकल आते थे
अब तो आकाश से पथराव का डर होता है

शुभ रात्रि

दु:ख जब तक हृदय में था
था बर्फ़ की तरह
पिघला तो उमड़ा आँसू बनकर
गिरा तो जल की तरह मिट्टी में
रिस गया भीतर बीज तक
बीज से फूल तक
यह जो फूल खिला है टहनी पर
इसे देखकर क्या तुम कह सकते हो
कि इसके जन्म का कारण
एक दु:ख था ?

एकांत श्रीवास्तव

राधेश्याम

अकेला होना मनुष्य का स्वभाव है।
अकेला होना मनुष्य की नियति है।
और जब तक अकेले होने को स्वीकार न करोगे,तब तक बेचैनी रहेगी।
लाख उपाय करो कि अकेलापन मिट जाए,नहीं मिटेगा।क्योंकि अकेलापन तुम्हारा स्वभाव है।
तुमने नाहक के भय पाल रखे हैं।
एकाकीपन परम सुंदर है।

स्वभाव

हम आज जो कुछ हैं, वह अपने ही संकल्प, विचार और सोच की वजह से हैं। हम जैसा सोचते हैं, वैसे बनते जाते हैं। जैसा हमारा संकल्प होगा, वैसी ही सिद्धियां हमें मिलेंगी। हम में अनंत शक्ति, अतूल्य तेज और अपूर्व सामर्थ्य है। इसलिए स्वयं के साथ रहें, जो जितना स्वयं के निकट रहता है, वो उतना ही बलवान है। उपासना का अर्थ है अपने निकट और अपने स्वभाव में रहना।

Sunday, November 24

Radhey Shyam

ग़ुरूर में कभी तो कच्चे रहे होंगे
अच्छा हां तब जब बच्चे रहे होंगे

हां! नादानियाँ भी मुस्कुराती थी
शायद तब हम अच्छे रहे होंगे

मिलते जुलते लोग मोहब्बत थे
शायद तब दिल सच्चे रहे होंगे 

Friday, November 22

Good Evening

मैं जानता हूँ कि शब्द विश्वासघाती होते हैं ,
वे संकट में मेरा साथ नहीं निभाते हैं
फिर भी न जाने क्यों मैं उनकी बाट जोहता रहता हूँ,
उनके स्वागत में पलकें बिछाए रखता हूँ,
उनके पदचाप की आहट पर
मेरी बाछें खिल जाती हैं
और ठीक इसी तरह
उनके जाने पर मेरी आँखें नम हो जाती हैं।

Thursday, November 14

शुभ रात्रि

कुछ लिख के सो, 
कुछ पढ़ के सो, 
तू जिस जगह जागा सवेरे, 
उस जगह से बढ़ के सो ! 

Saturday, November 9

चुनौती

“जब नाव जल में छोड़ दी
तूफ़ान में ही मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फिर धार क्या मझधार क्या
कह मृत्यु को वरदान ही
मरना लिया जब ठान ही
फिर जीत क्या फिर हार क्या”

~ हरिवंशराय बच्चन

Friday, November 8

यादें

कभी खुशियों के दिन , कभी ग़मों की रात
कुछ सुहाने पल , कुछ अनछुई बात
जीवन के आरम्भ से ,जीवन के अंत तक
हर पल को संजोती है
हर तस्वीर कुछ कहती है |

राधे राधे

आरंभ हो अंत न हो, 
मन इतना भी स्वतंत्र न हो 

सुख थोड़ा मिले कोई बात नहीं, 
किंतु मन में कोई षड्यंत्र ना हो ! 

Radhey Radhey

बहुत दूर जाना है तुमको
पड़े राह में रोड़े हैं।
हैं सामने खाइयाँ गहरी।
नहीं बखेड़े थोड़े हैं।।

पर तुमको अपनी ही धुन है।
नहीं किसी की सुनती हो।
काँटों में भी सदा फूल तुम।
अपने मन के चुनती हो।।

 *शुभ प्रभात 🌞* 🌷

Thursday, May 23

Motivation

मै दीपक हूँ, मेरी दुश्मनी तो सिर्फ़ अंधेरे से है,,,,
हवा तो बेवजह ही मेरे ख़िलाफ़ है!
 हवा से कह दो कि खुद को आज़मा के दिखाए,,,,,,
बहुत दीपक बुझाती है,एक जला के दिखाए !!

Saturday, May 11

Good Evening

थोड़ा डुबूंगा, मगर मैं फिर तैर आऊंगा, 
ऐ ज़िंदगी, तू देख, मैं फिर जीत जाऊंगा….

Tuesday, April 2

Good morning

टूट जाता है गरीबी मे 
      वो रिश्ता जो खास होता है,
        हजारो यार बनते है 
          जब पैसा पास होता है।
 
      ‬ रोज़ याद न कर पाऊँ तो 
खुदग़रज़ ना समझ लेना,

दरअसल छोटी सी जिन्दगी है। 
और परेशानियां बहुत हैं..!! 

मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ..

बस जिंदगी उलझी पड़ी है ..
दो वक़्त की रोटी कमाने में।. .

Friday, March 22

कर्म प्रधान

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा । 
जो जस करहि सो तस फल चाखा ॥